- Hörbuch
- 2018
- 18 Std 17 Min
- Storyside IN
Titel
Raag Darbari
Beschreibung
व्यंग्य प्रधान उपन्यास में ग्रामीण भारत और सरकारी तंत्र का जो खाका शुक्ल जी ने खींचा है, उसकी बराबरी नहीं हो सकती. 'राग दरबारी' के व्यंग्य आज के समय में भी उतने ही खरे और चोट करने वाले हैं. ऑडियोबुक के रूप में यह क़िताब हमारे चेहरे पर हँसी बिखेरती है, और साथ ही ज़ेहन में यह सवाल भी पैदा करती है कि इतने सालों में हमारे देश की प्रगति को वो रफ़्तार क्यों नहीं मिली, जिसके हम हक़दार हैं?
अपनी किताब 'राग दरबारी' के लिए पहचाने जानेवाले शुक्ल जी ने कुल 25 किताबें लिखीं. उनकी पहली किताब 'अंगद का पांव' भी चर्चित हुई थी. मगर 'राग दरबारी' के साथ जो मुकाम शुक्ल जी ने पाया वो साहित्य में कम ही लोगों को मिला है.
Satirical and deeply humane insight into the life of rural India.
Auf öffentlichen Listen dieser Nutzer
Dieses Hörbuch ist noch auf keiner Liste.
Produktdetails
Verlag:
Autor:
Titel:
Raag Darbari
gelesen von:
Sprache:
HI
ISBN Audio:
9788193361894
Erscheinungsdatum:
24. Mai 2018
Laufzeit
18 Std 17 Min
Produktart
AUDIO
Serie:
Explizit:
Nein
Hörspiel:
Nein
Ungekürzt:
Ja