Apaar Khushi ka Gharana
Titel

Apaar Khushi ka Gharana

Beschreibung
अपार ख़ुशी का घराना' हमें कई वर्षों की यात्रा पर ले जाता है. यह एक ऐसी कहानी है जो वर्षों पुरानी दिल्ली की तंग बस्तियों से खुलती हुई फलते-फूलते नए महानगर और उससे दूर कश्मीर की वादियों और मध्य भारत के जंगलों तक जा पहुँचती है, जहां युद्ध ही शान्ति है और शान्ति ही युद्ध है., और जहां बीच-बीच में हालात सामान्य होने का एलान होता रहता है. अंजुम, जो पहले आफ़ताब थी, शहर के एक क़ब्रिस्तान में अपना तार-तार कालीन बिछाती है और उसे अपना घर कहती है. एक आधी रात को फुटपाथ पर कूड़े के हिंडोले में अचानक एक बच्ची प्रकट होती है. रहस्मय एस. तिलोत्तमा उससे प्रेम करनेवाले तीन पुरुषों के जीवन में जितनी उपस्थित है उतनी ही अनुपस्थित रहती है. 'अपार ख़ुशी का घराना' एक साथ दुखती हुई प्रेम-कथा और असंदिग्ध प्रतिरोध की अभिव्यक्ति है. उसे फुसफुसाहटों में, चीख़ों में, आँसुओं के ज़रिये और कभी-कभी हँसी-मज़ाक़ के साथ कहा गया है. उसके नायक वे लोग हैं जिन्हें उस दुनिया ने तोड़ डाला है जिसमें वे रहते हैं और फिर प्रेम और उम्मीद के बल पर बचे हुए रहते हैं. इसी वजह से वे जितने इस्पाती हैं उतने ही भंगुर भी, और वे कभी आत्म-समर्पण नहीं करते. यह सम्मोहक, शानदार किताब नए अंदाज़ में फिर से बताती है कि एक उपन्यास क्या कर सकता है और क्या हो सकता है. अरुंधति रॉय की कहानी-कला का करिश्मा इसके हर पन्ने पर दर्ज है. ख़ास बातें : - अरुंधति रॉय का पहला उपन्यास बुकर पुरस्कार से सम्मानित हुआ था. यह उनका दूसरा और बहुप्रतीक्षित उपन्यास है. - इस उपन्यास का अब तक विश्व की 49 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.
Auf öffentlichen Listen dieser Nutzer
Dieses Hörbuch ist noch auf keiner Liste.
Produktdetails
Titel:
Apaar Khushi ka Gharana
gelesen von:
Sprache:
HI
ISBN Audio:
9789353980061
Erscheinungsdatum:
31. August 2020
übersetzt von:
Laufzeit
15 Std 16 Min
Produktart
AUDIO
Explizit:
Nein
Hörspiel:
Nein
Ungekürzt:
Ja